किराए पर मकान देने वाले मकान मालिकों को झटका देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला लिया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक अगर आपका असली या कानूनी मालिक अपनी अचल संपत्ति को किसी और के कब्जे से वापस पाने के लिए समय सीमा के अंदर कदम नहीं उठा पाता है तो उसका मालिकाना हक खत्म हो जाएगा। और आपको बता दें उनके कब्जे वाली अचल संपत्ति को कानूनी तौर पर मालिकाना हक दिया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर राजधानी के लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की है। किराएदार खुश हैं लेकिन मकान मालिकों ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर दुख जताया है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी साफ किया कि सरकारी जमीन पर अतिक्रमण को इस दायरे में नहीं रखा जाएगा। यानी सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे को कभी भी कानूनी मान्यता नहीं मिल सकती।
गोमती नगर निवासी रजत सिंह का कहना है कि इस फैसले से मकान मालिकों को सतर्क रहना होगा। फैसले से सीख लेते हुए मकान मालिक को अपना मकान किराए पर देने से पहले रेंट एग्रीमेंट, मकान का किराया बिल, किराया जैसी कानूनी कार्रवाई कर लेनी चाहिए उन्होंने कहा कि अगर किसी ने अचल संपत्ति पर कब्जा कर लिया है तो उसे वहां से हटाने में देरी नहीं होनी चाहिए।
जानिए क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने:
पीठ ने कहा, ‘हमारा फैसला है कि जो व्यक्ति संपत्ति पर कब्जा कर रहा है, कोई भी अन्य व्यक्ति उसे उचित कानूनी प्रक्रिया के बिना वहां से नहीं हटा सकता। अगर किसी ने 12 साल तक अवैध तरीके से संपत्ति पर कब्जा किया है तो कानूनी मालिक को भी उसे हटाने का अधिकार नहीं होगा, ऐसी स्थिति में अवैध कब्जा करने वाले व्यक्ति को ही कानूनी अधिकार और मालिकाना हक मिलेगा।
हमारी राय में इसका परिणाम यह होगा कि एक बार अधिकार, शीर्षक या हित प्राप्त हो जाने के बाद, इसे अधिनियम की धारा 65 के दायरे में वादी द्वारा तलवार की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है। साथ ही यह प्रतिवादी के लिए सुरक्षा कवच होगा। अगर कोई व्यक्ति कानून के तहत अवैध कब्जे को कानूनी कब्जे में बदलता है तो बलपूर्वक बेदखली की स्थिति में वह कानून की मदद ले सकता है।