हाल ही में बांग्लादेश के अंदर काफी कुछ देखने को मिल रहा है, वहां के लोगों में भयंकर दंगे भी देखने को मिल रहे हैं, वहीं पीएम शेख हसीना को अचानक देश छोड़कर जाना पड़ा, इसके बाद जो कुछ भी हुआ वह जगजाहिर है, स्थानीय लोगों ने पीएम के आवास में घुसकर पीएम के निजी सामान के अलावा जो कुछ भी उनके हाथ लगा, उसे चुराकर अपने घर ले गए।
अल्पसंख्यक हिंदुओं के मंदिर तोड़ दिए गए, घर जला दिए गए और इसके बाद भी जब उनका मन नहीं भरा तो उन्हें देश छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा, दरअसल इनमें से ज्यादातर हिंदू वो हैं जो बंटवारे के समय से ही वहां मौजूद हैं, यानी कई हिंदू तो तब से वहां थे जब बांग्लादेश उसका हिस्सा भी नहीं था।
बांग्लादेश के अंदर चल रहे इस माहौल में एक नई जानकारी भी सामने आ रही है, वहां की किताबों में भारत के बारे में जो पढ़ाया जाता है वह भी बेहद चौंकाने वाला है। कक्षा 9 से 10 तक की बांग्लादेश और वैश्विक अध्ययन नामक किताब में 1971 के युद्ध का जिक्र किया गया है, जिसमें भारत के बारे में लिखा गया है कि भारतीय सेना ने बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में मित्र सेना के तौर पर हिस्सा लिया था और पाकिस्तानी सेना को हराने में उनका योगदान नगण्य नहीं कहा जा सकता।
देश का वह हिस्सा जिसे आज बांग्लादेश के नाम से जाना जाता है, 1971 से पहले पूर्वी पाकिस्तान के नाम से जाना जाता था क्योंकि उस पर पाकिस्तान का कब्ज़ा हुआ करता था। भारत ने वर्ष 1971 में युद्ध लड़कर पाकिस्तान को हराया और पूर्वी पाकिस्तान को आज़ाद कराया और आज़ादी के बाद से ही इसे बांग्लादेश के नाम से जाना जाता है।
यही वजह है कि वहां की किताबों में हमेशा इस बात का ज़िक्र होता है कि किस तरह भारत ने 1971 में बांग्लादेश की मदद की और उसे आज़ाद कराया। लेकिन आज हालात ऐसे हो गए हैं कि इसी बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार हो रहे हैं।