आज के समय में लोन लेना एक आम आवश्यकता बन चुका है. बैंक और गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थान विभिन्न प्रकार के लोन प्रदान करते रहते हैं जैसे कार लोन, पर्सनल लोन और होम लोन. लेकिन कभी-कभी वित्तीय परिसंपत्तियों की वजह से समय पर लोन भी नहीं चुका पाते हैं और डिफाल्टर भी को घोषित हो जाते हैं इस स्थिति में आरबीआई ने लोन डिफाल्टर के अधिकारों को भी सुरक्षित करने के लिए कुछ आदेश जारी किए हैं.
अपना पक्ष देने का अधिकार
प्रत्येक ग्राहक को लोन डिफाल्टर घोषित होने की स्थिति में अपना पक्ष रखने का पूर्ण अधिकार भी है यह अपनी विद्या कठिनाई है जैसे की नौकरी छूटना या दुर्घटना के बारे में बैंक को लिखित में स्पष्टीकरण भी दे सकता है बैंक से नोटिस मिलने पर ग्राहक अपील भी कर सकता है और अपनी स्थिति को भी साफ तौर पर दशा सकता है.
रिकवरी प्रक्रिया से संबंधित अधिकार
आरबीआई के द्वारा जारी किए गए आदेशों के अनुसार बैंक और वित्तीय संस्थान लोन वसूली के दौरान ग्राहकों को परेशान भी नहीं कर सकते हैं वसूली एजेंट को प्रशिक्षित होना चाहिए और सभी व्यवहार करना चाहिए वसूली का समय सुबह 7:00 से शाम 7 वजे तक ही निर्धारित है.
सम्मान जनक व्यवहार का भी अधिकार
लोन डिफाल्टर का भी सम्मानजनक व्यवहार होना चाहिए बैंक या वित्तीय संस्थान के कर्मचारियों के द्वारा दुर्व्यवहार करते हैं या फिर धमकी देते हैं तो ग्राहक इसकी शिकायत भी दर्ज करवा सकते हैं वसूली एजेंट को पूरी जानकारी ग्राहक को दी जानी चाहिए।
संपत्ति मूल्यांकन का अधिकार
यदि बैंक लोन वसूली के लिए संपत्ति की भी नीलामी कर देता है और इसकी पूरी जानकारी कराहक को नोटिस के माध्यम से दी जानी चाहिए नोटिस में संपत्ति का मूल्य नीलामी की तिथि और समय का विवरण भी होना चाहिए ग्राहक अनुचित मूल्यांकन प्रपत्ति जाता सकता है.
आय संतुलन का अधिकार
आयुर्वेद के द्वारा जारी किए गए आदेशों के अनुसार यदि संपत्ति की बिक्री से लोन राशि से अधिक धन प्राप्त हो रहा है तो अतीत राशि ग्राहक को वापस की जानी चाहिए नीलामी प्रक्रिया में प्रतिदृश्यता सुनिश्चित की जानी चाहिए।
कानूनी प्रावधान और नियम
बैंकों के द्वारा और वित्तीय संस्थानों को लोन वसूली में कानूनी प्रावधानों का पालन करना अनिवार्य है इन नियमों का उद्देश्य लोन डिफाल्टर के अधिकारों की रक्षा करना होता है और इस वसूली प्रक्रिया सुनिश्चित करना होता है. लोन डिफाल्टर के अधिकारों की जानकारी रखना पड़ती है लोन लेने वाले सभी व्यक्तियों के लिए महत्वपूर्ण होता है यह जानकारी उन्हें अनुचित व्यवहार से बचते रहते हैं और उनके हितों की रक्षा भी करती हैं और वे के द्वारा जारी किए गए दिशा निर्देश वित्तीय संस्थानों और ग्राहकों के बीच एक संतुलित संबंध स्थापित करने के लिए आवश्यक है.