मार्शल आर्ट की नई तकनीक से दुनिया को रूबरू कराने वाले ब्रूस ली का जन्म 27 नवंबर 1940 को अमेरिका के कैलिफोर्निया में हुआ था। लेकिन 20 जुलाई 1973 को महज 33 साल की उम्र में उनका निधन हो गया। आज भी ज्यादातर लोगों को लगता है कि ब्रूस ली कुंग फू, मार्शल आर्ट या कराटे जैसी किसी भी मार्शल आर्ट में दुनिया के सबसे बड़े उस्ताद थे। लेकिन ब्रूस ली के बारे में प्रचलित यह कहावत लोगों की सबसे बड़ी गलत धारणा है। दरअसल, ब्रूस ली ने कोई ‘पारंपरिक युद्ध कौशल’ की ट्रेनिंग नहीं ली थी।
आज ब्रूस ली अपने पीछे एक ऐसी विरासत छोड़ गए हैं, जिसे पूरी दुनिया ‘न्यू मार्शल आर्ट’ के नाम से जानती है। वह एक गैर-शास्त्रीय मार्शल कलाकार थे। उन्होंने किसी पारंपरिक ‘कुंग-फू’ स्कूल से शिक्षा नहीं ली। ब्रूस ली दिखने में भले ही बहुत दुबले-पतले थे, लेकिन ताकत ऐसी थी कि 1 इंच दूर से ही मुक्का मारकर किसी भी ताकतवर इंसान की सांसें रोक देते थे।
दरअसल, ब्रूस ली ने ‘कुंग-फू’ की जगह ‘विंग चुन’ को चुना। 13 साल की उम्र में उनकी मुलाकात मास्टर ‘यिप मैन’ से हुई, जो ‘विंग चुन’ की ‘गंग फू’ शैली के शिक्षक हुआ करते थे। 5 साल तक गुरु ‘यिप मैन’ की शरण में रहकर ब्रूस ली अपनी मेहनत और लगन के दम पर ‘विंग चुन’ के उस्ताद बन गए। कहा जाता है कि ब्रूस ली को अपने जीवन में सिर्फ एक ही लड़ाई में हार का स्वाद चखना पड़ा था, लेकिन तब उनकी उम्र महज 14 साल थी। और उन्होंने उस समय तक कोई प्रशिक्षण भी नहीं लिया था।
ब्रूस ली ने 1959 में अमेरिका में एक मार्शल आर्ट स्कूल की शुरुआत की थी। तब उन्होंने अपनी ‘युद्ध नीति’ तैयार की थी, जिसका नाम जून फैन गंग फू रखा गया था। आज पूरी दुनिया इसे ब्रूस ली के कुंग फू के नाम से जानती है। इस दौरान ली ने मार्शल आर्ट सीखने वालों को फिटनेस और उचित आहार पर ध्यान देने पर जोर दिया। ब्रूस ली ने अपनी थ्योरी के दम पर ‘सिफु वांग जैकमैन’ को बेहद मुश्किल मुकाबले में हरा दिया। सिफू ‘कुंग-फू’ के ऐसे उस्ताद थे जिन्हें कभी कोई हरा नहीं सकता था, लेकिन ब्रूस ली ने कर दिखाया.
ब्रूस ली ने अपनी नई मार्शल आर्ट जून फैन गंग फू को ‘द स्टाइल ऑफ नो स्टाइल’ भी कहा। ब्रूस ली ने वास्तव में इसे पश्चिमी देशों की बॉक्सिंग और चीन के विंग चुन का मिश्रण बना दिया था। दरअसल, जीत कुने दो का मूल मंत्र था- लिमिटेशन ऐज लिमिटेशन: बीइंग नो लिमिटेशन ऐज लिमिटेशन। हिंदी में इसका अर्थ है ‘किसी भी सीमा का अभाव अंतिम सीमा है’।
ब्रूस ली को उनकी शारीरिक क्षमताओं के कारण अभी भी एक महान मार्शल कलाकार नहीं माना जाता है। दरअसल, ली ही वह शख्स हैं, जिन्होंने मार्शल आर्ट के बुनियादी ढांचे में कुछ ऐसे बदलाव किए, जिसके चलते आज के मार्शल आर्टिस्ट्स, एथलीट्स और हॉलीवुड और बॉलीवुड स्टार्स का फिटनेस शेड्यूल तय है।
क्यों ब्रूस ली एक असाधारण व्यक्ति थे
ब्रूस ली का एक मुक्का 148 किलो की ताकत पैदा करने में सक्षम था। उसके हाथों की ताकत ऐसी थी कि अगर वह किसी पर 3 इंच की दूरी से भी वार करता तो वह व्यक्ति 9 से 10 फीट की दूरी पर गिर जाता था। वहीं ये अपनी पूरी ताकत से किसी भी शख्स को 20 मीटर दूर तक फेंकने की क्षमता रखता था. मुक्केबाज आमतौर पर अभ्यास के दौरान 35 से 75 किलो के पंचिंग बैग का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन ब्रूस ली ने 150 किलो के पंचिंग बैग का इस्तेमाल किया। क्योंकि हल्का ‘पंचिंग बैग’ उसकी ‘लात और घूंसे’ बर्दाश्त नहीं कर पाता था.
कहा जाता है कि ब्रूस ली हर रोज करीब 5000 पंचों की प्रैक्टिस करते थे। इसके अलावा वह एक बार में 1500 पुश अप मार लेते थे। उनके 2 फिंगर पुश अप्स आज भी मशहूर हैं। हॉलीवुड फिल्म की शूटिंग के दौरान जब भी ब्रूस ली ने कोई एक्शन किया तो उस सीन को स्लो-मोशन में 32 फ्रेम प्रति सेकेंड की रफ्तार से दिखाया गया। क्योंकि उसकी वास्तविक गति को आँखों से देखना असम्भव था।