बांग्लादेश इस समय गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है। बैंक बेलआउट पर हैं। महंगाई दर 13 साल में सबसे ज्यादा है। जुलाई में खाद्य महंगाई दर 14 फीसदी को पार कर गई। इससे आटा, चावल, दाल, तेल और सब्जियों की कीमतों में अप्रत्याशित उछाल आया है।

आंदोलन पूरे देश में फैला हुआ था, इसलिए सप्लाई चेन बुरी तरह से बाधित हुई है। हड़ताल की वजह से एक महीने से ट्रकों से माल की सप्लाई नहीं हो पाई। मांग ज्यादा है और उस हिसाब से माल नहीं मिल पा रहा है, जिसकी वजह से खाद्य पदार्थों के दाम बढ़ गए हैं।

सब्जियां, फल, किराना सामान कई ऑनलाइन पोर्टल पर नहीं मिल रहे हैं, क्योंकि स्टॉक खत्म हो गया है। दुकानों पर खरीदारों की भारी भीड़ है, लेकिन लोगों को जरूरी सामान भी पूरा नहीं मिल पा रहा है।

खाद्य पदार्थों के दामों में बढ़ोतरी की बात करें तो जो प्याज दो महीने पहले 70 टका यानी 50 रुपये प्रति किलो मिल रहा था, वह अब 120 से 150 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। टमाटर, आलू, लहसुन सभी के दाम बढ़ गए हैं। राजधानी ढाका के कई बाजारों में प्याज की दुकानें खाली हैं। एएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, अगस्त में कीमतें पिछले महीने के मुकाबले दोगुनी हो गई हैं।

अगर सांख्यिकी ब्यूरो की रिपोर्ट पर विश्वास किया जाए तो शेख हसीना के समय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक जो 1.94% था, अब बढ़कर 11.66% हो गया है। इससे साफ है कि आवश्यक वस्तुओं के दाम तेजी से बढ़े हैं।

लोग बैंकों से 2 लाख से ज्यादा नहीं निकाल पा रहे हैं, इसलिए बाजार में भी सन्नाटा है। व्यापारी अपना कारोबार ठीक से नहीं चला पा रहे हैं। लोगों की जेब में खर्च करने के लिए पैसे नहीं हैं। बैंक उन्हें पैसे निकालने नहीं दे रहे हैं।

व्यापारियों को लगता है कि हालात बदलने वाले नहीं हैं। अगले कुछ महीनों तक कीमतें और बढ़ने वाली हैं। क्योंकि भारत से प्याज नहीं आ रहा है। सब्जियां बाजारों तक नहीं पहुंच पा रही हैं। बारिश के कारण कई सब्जियां खेतों में सड़ गई हैं। इन सबका असर बाजार पर देखने को मिलेगा।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ढाका-चटगांव समेत सभी प्रमुख बाजारों में आधे व्यापारी भी नहीं पहुंच रहे हैं। काम करने वालों में बड़ी संख्या अल्पसंख्यकों की है, लेकिन वे हिंसा के डर से बाजार नहीं जा रहे हैं। इसलिए दिक्कतें और बढ़ना तय है।