हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने अमावस्या तिथि का विशेष महत्व होता है। इन तिथियों में वैशाख अमावस्या को बहुत पवित्र माना गया है। इस बार वैशाख मास की अमावस्या तिथि रविवार, 27 अप्रैल 2025 को पड़ रही है। इस दिन व्रत और पूजा-पाठ का विशेष विधान है।
वैशाख अमावस्या का दिन भगवान विष्णु को समर्पित माना जाता है। जो भी व्यक्ति श्रद्धा से उपवास रखता है और विष्णु जी की आराधना करता है, उसे न केवल पापों से मुक्ति मिलती है बल्कि इच्छित फल की भी प्राप्ति होती है।
लेकिन ध्यान रहे, व्रत के दौरान कुछ विशेष नियमों का पालन अनिवार्य होता है। धार्मिक ग्रंथों में बताए गए इन नियमों की अनदेखी करने पर व्रत का फल व्यर्थ हो सकता है और भगवान विष्णु का अप्रसाद भी झेलना पड़ सकता है।
तो आइए जानते हैं, वैशाख अमावस्या व्रत के दौरान किन 7 बातों से जरूर बचना चाहिए:
झगड़ा करने से बचें
व्रत के दिन किसी से विवाद या कटु शब्दों का प्रयोग न करें। वाणी पर संयम रखें और सभी से विनम्रता से पेश आएं। क्रोध और कड़वाहट व्रत की पवित्रता को नष्ट कर सकते हैं।
तामसिक भोजन का त्याग करें
इस दिन केवल सात्विक भोजन का सेवन करना चाहिए और वह भी केवल एक समय। मांस-मछली, प्याज-लहसुन और तेज गंध वाले पदार्थों से पूरी तरह परहेज रखें। ऐसे पदार्थों को घर में लाना या पकाना भी वर्जित है।
मौन व्रत का पालन करें
अमावस्या के दिन विशेषकर व्रती व्यक्ति को मौन रहने का प्रयास करना चाहिए। सुबह स्नान से पूर्व मौन रहकर मानसिक शुद्धि प्राप्त करें। यदि संभव हो तो पूरे दिन मौन व्रत रखें, इससे साधना का फल कई गुना बढ़ जाता है।
तुलसी को जल न चढ़ाएं
हालांकि तुलसी जी भगवान विष्णु को प्रिय हैं, परंतु अमावस्या के दिन तुलसी को जल नहीं चढ़ाना चाहिए और न ही उसके पत्ते तोड़ने चाहिए। यह नियम शास्त्रों में स्पष्ट रूप से वर्णित है।
बाल, नाखून या दाढ़ी न काटें
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अमावस्या के दिन शरीर के किसी भी अंग के बाल, नाखून या दाढ़ी नहीं काटनी चाहिए। यह अशुभ माना जाता है और व्रत की शुद्धता में बाधा डाल सकता है।
श्मशान या सुनसान जगहों से दूर रहें
मान्यता है कि अमावस्या की रात को नकारात्मक शक्तियाँ अधिक सक्रिय रहती हैं। अतः इस दिन किसी श्मशान, कब्रिस्तान या सुनसान स्थान पर न जाएं। इससे मानसिक और आध्यात्मिक अशांति हो सकती है।
दिन में न सोएं
व्रत के दिन दिन में सोना वर्जित है। ऐसा करने से व्रत का प्रभाव कम हो सकता है। इसकी बजाय विष्णु मंत्रों का जाप करें, भजन सुनें या धार्मिक ग्रंथों का पाठ करें।