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मिथुन चक्रवर्ती की फ़िल्म के इस गाने का मतलब बहुत कम लोगो को पता है,इस गाने के नाम है बहुत बड़े बड़े रिकॉड

Very few people know the meaning of this song of Mithun Chakraborty's film, the name of this song is very big record.

लता मंगेशकर के सभी प्रशंसकों ने उनका गाना ‘जिहाल-ए -मिस्कीं मकुन बरंजिश’ सुना होगा। 1985 में जेपी दत्त के निर्देशन में बनी फिल्म ‘गुलामी’ रिलीज हुई थी। इस फिल्म में मिथुन चक्रवर्ती, धर्मेंद्र, अनीता राज, नसीरुद्दीन शाह, रीना रॉय और स्मिता पाटिल महत्वपूर्ण भूमिकाओं में थे। उस फिल्म के इस मधुर गीत ने तुरंत ही प्रशंसकों का दिल जीत लिया। इस गाने को लता मंगेशकर और सिंगर शब्बीर कुमार ने सपोर्ट किया था. गाने का संगीत लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने दिया था।

फिल्म ‘गुलामी’ के इस गाने को सुनकर एक अलग ही फीलिंग आती है. वास्तव में गुलजार ने इस सुंदर गीत की रचना की, जो साहित्य प्रेमियों के लिए एक अनुपम खजाना है। क्योंकि इस गाने का गहरा अर्थ है। जो बहुत से लोगों को नहीं पता होगा. गुलजार के लिखे इस गाने का मतलब भले ही फैन्स न समझें, लेकिन उन्होंने इस खूबसूरत गाने को अपने दिल में बसा रखा है. आइए जानते हैं इस दिल को छू लेने वाले गाने का मतलब।

गुलज़ार साहब ने यह गीत एक कविता की एक पंक्ति से प्रेरित होकर लिखा था। जो युगों-युगों से लोगों के मन में बसा हुआ है। यह महान कवि अमीर खुसरो की प्रसिद्ध रचना है। उन्होंने फारसी और ब्रजभाषा के मेल से इसकी रचना की। अमीर खुसरो द्वारा रचित कविता की पंक्तियाँ हैं –

ज़िहाल-ए मिस्कीं मकुन तगाफ़ुल, दुराये नैना बनाये बतियां… कि ताब-ए-हिजरां नदारम ऐ जान, न लेहो काहे लगाये छतियां… | इसका मतलब है, “आंखे फेरके और बातें बनाके मेरी बेबसी को नजरअंदाज (तगाफ़ुल) मत कर. हिज्र (जुदाई) की ताब (तपन) से जान नदारम (निकल रही) है तुम मुझे अपने सीने से क्यों नही लगाते!”

जिहाल-ए-मिस्कीं मकुन बरंजिश, बेहाल-ए -हिजरा बेचारा दिल है… सुनाई देती है जिसकी धड़कन, तुम्हारा दिल या हमारा दिल है… | इसका मतलब है, “मेरे दिल का थोड़ा ध्यान करो इससे रंजिश (नाराजगी) न रखो इस बेचारे ने अभी बिछड़ने का दुख सहा है!”

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