कभी सड़को पर बेचा करता था गोलगप्पे आज है भारतीय क्रिकेट टीम में खिलाड़ी।

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टीम इंडिया में अपनी जगह बना चुके इस क्रिकेटर की कहानी काफी प्रेरणादायक है ! आज सबसे ज्यादा रन बनाने वाले क्रिकेटर बनने से पहले कि इनकी लाइफ काफी संघर्षपूर्ण थी इन्होंने कुछ साल पहले तक मुंबई की व्यस्त सड़कों पर गोलगप्पे बेचे इतना ही नहीं इन्हें टेंट में भी रहना पड़ा ! आज हम आपको इस आर्टिकल में क्रिकेटर यशस्वी की संघर्ष की कहानी बताने जा रही है ! मात्र 16 साल की उम्र में एचएसवी घरेलू क्रिकेट में दोहरा शतक लगाने वाले दुनिया के सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बन चुके हैं !

लेकिन यशस्वी को यह सब पानी के लिए काफी ज्यादा संघर्ष करना पड़ा था !इनके लिए अपना सपना पूरा कर पाना इतना भी आसान नहीं था !महज 10 साल की उम्र में यशस्वी अपने घर उत्तर प्रदेश के भदोही से निकलकर मुंबई में अपनी पहचान बनाने के लिए आए थे ! भारतीय क्रिकेट के दिग्गजों के बीच अपनी पहचान बनाने के लिए यशस्वी को कड़ी मेहनत करनी पड़ी ! इस क्रिकेटर ने अपने सपने के बीच में आने वाली हर एक कड़ी चुनौतियां का अडिग रहकर सामना किया ! यशस्वी कि भारतीय टीम में अपनी जगह बनाने की कहानी बेहद भावनात्मक और प्रेरणादायक है !

रात बिताई तंबू में और बेचे गोलगप्पे

यशस्वी बेहद ही छोटे से परिवार से ताल्लुक रखते हैं ! इनके पिता उत्तर प्रदेश के भदोही में एक छोटी सी दुकान के मालिक हैं ! और मां ग्रहणी है ! इन्होंने अपना सपना पूरा करने के लिए 10 साल की उम्र में ही घर छोड़ मुंबई पहुंच गए थे ! दरअसल पिता के पास अपने बच्चे के सपने को पूरा करने के लिए पैसों की कमी थी ! जिसकी वजह से पिता को भी उनके इस कदम पर कोई आपत्ति नहीं हुई !

यशस्वी के एक रिश्तेदार मुंबई के वर्ली में रहा करते थे ! लेकिन उनके घर में इतनी पर्याप्त जगह नहीं थी ! कि जिसमें कोई और भी रह सके ! जिसकी वजह से उनका रहने का इंतजाम कहीं और किया गया ! जहां पर उन्हें टेंट में रहना पड़ता था ! अपने खाने के लिए कुछ काम करने के लिए गोलगप्पे बेचने पड़े ! रामलीला के दौरान उन्हें गोलगप्पे बेचने का काम मिला !

लेकिन इस दौरान उन्हें हमेशा डर लगा रहता था कि उनकी टीम का कोई मेंबर गोलगप्पे खाने ना जाए ! इसकी वजह से उन्हें काफी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ सकता है! कभी-कभी यशस्वी को खाली पेट भी सोना पड़ता था ! क्योंकि जिस टेंट में रहा करते थे ! वहां रहने वालों में कभी-कभी आपस में लड़ाई हो जाती थी ! जिसकी वजह से खाना ना बन पाने के कारण उन्हें खाली पेट ही सोना पड़ता था !

मुश्किल समय में परिवार को याद कर रोए

इस तरह की कड़ी मुश्किलों का सामना करते हुए इन्हे अपने परिवार की याद आती थी ! मुंबई में उन्हें ना तो कोई खाना बनाने वाला ना खिलाने वाला था ! उन्हें हर काम खुद से ही करना था और वह नहीं चाहते थे कि उनकी इस तरह की मजबूरी की खबर उनके परिवार तक पहुंचे ! उनके पास क्रिकेट खेल कर 300 रूपये मिलते सप्ताह गुजारने के लिए हो जाते थे !

याद कर कहा मैंने हमेशा देखा कि मेरी उम्र के लड़के खाना लेकर आते थे ! लेकिन मेरे पास इतने भी पैसे नहीं थे ! यशस्वी का दिन क्रिकेट खेल कर निकल जाता था ! लेकिन उनके लिए काफी लंबी होती थी ! अक्सर उन्हें अपने परिवार की याद आती और अपने परिवार को याद करके रोया करते थे !

गिफ्ट में मिला सचिन का बल्ला

खेलते समय बेंगलुरु में स्थित राष्ट्रीय क्रिकेट एकेडमी में के दौरान उनकी मुलाकात सचिन तेंदुलकर के बेटे इसी दौरान दोनों के बीच काफी गहरी दोस्ती हुई ! इसी दौरान अर्जुन उन्हें अपने घर ले गए घर ले जाकर जब उन्हें अपने पिता से मिलाया ! तो सचिन भी उनकी परफॉर्मेंस से काफी प्रभावित होकर बोले ! उन्हें अपना गिफ्ट बल्ला गिफ्ट कर दिया ! उनसे यह भी रिक्वेस्ट की अपने क्रिकेटर में डेब्यू इसी बैट से करें !

विजय हजारे ट्रॉफी में 2019 में मुंबई की तरफ से एक दोहरा शतक और तीन शतक लगाकर 5 मैचों में 504 रन बनाए ! सबसे कम उम्र में 149 गेंदों में दोहरा शतक लगाने वाले बल्लेबाज बन गए ! इतना ही नहीं उन्होंने विजय हजारे ट्रॉफी के दौरान 12 छक्के लगाने वाले खिलाड़ी भी बन चुके हैं ! इस तरह की संघर्षपूर्ण कहानी जीवनी हर उस इंसान के लिए काफी प्रेरणादायक होती है ! जो आने वाली चुनौतियों से घबराकर अपना सपना छोड़ देते हैं !

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