23 साल के सुनहरे कैरियर के साथ मारुति अल्टो 800 का सफर हुआ खत्म, कंपनी ने किया इस बड़ी वजह से प्रोडक्शन बंद….

करीब 23 साल बाद देश की सबसे सस्ती कार का सफर खत्म हो गया है। नए रियल ड्राइविंग एमिशन नॉर्म्स (RDE) यानी BS6 फेज-टू के लागू होने के साथ ही कंपनी ने देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी Maruti Suzuki की सबसे ज्यादा बिकने वाली कार Maruti Alto 800 को बंद कर दिया। कंपनी ने इस मशहूर हैचबैक कार का प्रोडक्शन बंद कर दिया है और अब सिर्फ बचा हुआ स्टॉक ही बेचा जाएगा. देश में 1 अप्रैल से नए आरडीई नॉर्म्स लागू हो गए थे, जिसके चलते इस कार को नए नॉर्म्स के हिसाब से अपग्रेड करना महंगा पड़ सकता था, जिसका सीधा असर कार की कीमत पर भी पड़ेगा।
मारुति ऑल्टो 800 को कंपनी ने सबसे पहले घरेलू बाजार में साल 2000 में लॉन्च किया था। इस हैचबैक द्वारा पुरुषों के सपनों की कार के रूप में हासिल किया गया मुकाम किसी मील के पत्थर से कम नहीं है। यह न केवल ब्रांड की बल्कि देश की भी लंबे समय से सबसे ज्यादा बिकने वाली कार रही है। आखिरी समय में इस कार की कीमत 3.54 लाख रुपये से 5.13 लाख रुपये के बीच दर्ज की गई है। कंपनी इस कार को अपने ARENA डीलरशिप के जरिए बेचती रही है।
अब चुकिंग ऑल्टो 800 का उत्पादन बंद कर दिया गया है, हाल ही में लॉन्च की गई ऑल्टो के10 कंपनी की एंट्री-लेवल कार बन गई है, जिसकी कीमतें रुपये से शुरू होती हैं। 3.99 लाख और रुपये तक जा रहा है। Maruti Suzuki Alto 800 पेट्रोल इंजन के साथ-साथ CNG वैरिएंट में भी उपलब्ध थी, यह कार न केवल कम कीमत में उपलब्ध थी, बल्कि अपने बेहतरीन माइलेज के कारण जेब पर पड़ने वाला बोझ भी कम करती थी। इसका पेट्रोल वेरिएंट 22.05 किमी/लीटर और सीएनजी वेरिएंट 31.59 किमी/किग्रा तक का माइलेज देता था।
कैसी थी मारुति ऑल्टो 800:
कंपनी ने इस कार में 0.8 लीटर की क्षमता का पेट्रोल इंजन इस्तेमाल किया है, जो 48PS की पावर और 69Nm का टॉर्क जेनरेट करता है। जबकि CNG मोड में इसका पावर आउटपुट थोड़ा कम हो जाता था, जिसके बाद यह इंजन 41PS की पावर और 60Nm का टार्क जनरेट करता था। इस इंजन को 5-स्पीड गियरबॉक्स से जोड़ा गया था।
ये सुविधाएं मिलीं:
कंपनी ने इस कार को साल 2019 में नया अपडेट दिया था, जिसके बाद इसमें कुछ नए फीचर्स शामिल किए गए थे। कार में 7-इंच का टचस्क्रीन इंफोटेनमेंट सिस्टम है जो Apple Car Play और Android Auto को सपोर्ट करता है। इसके अलावा कीलेस एंट्री और फ्रंट पावर विंडो जैसे फीचर्स मिलते थे। सेफ्टी के लिहाज से इस कार में रियर पार्किंग सेंसर्स, डुअल एयरबैग्स, इलेक्ट्रॉनिक ब्रेकफोर्स डिस्ट्रीब्यूशन (EBD) के साथ एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम (ABS) जैसे फीचर्स दिए गए हैं।
यात्रा कैसी थी:
लॉन्च के 10 साल बाद यानी 2010 तक मारुति सुजुकी ने ऑल्टो की 18 लाख यूनिट बेची थी। इसके बाद साल 2010 में कंपनी ने ऑल्टो के10 को बाजार में उतारा। 2010 से आज तक, कंपनी ने ऑल्टो 800 की 1,700,000 यूनिट और ऑल्टो के10 की 950,000 यूनिट बेची हैं। कुल मिलाकर, ऑल्टो ब्रांड का वॉल्यूम लगभग 4,450,000 यूनिट रहा।
मांग में अचानक गिरावट:
समय के साथ देश के ऑटो सेक्टर में कई नए मॉडल आ गए थे और मारुति ऑल्टो 800 की मांग में गिरावट दिख रही थी। FY-16 तक इस कार का मार्केट शेयर 15% तक था, जो FY-23 तक घटकर मात्र 7% रह गया। वैसे तो यह कार देश की सबसे ज्यादा बिकने वाली कारों की लिस्ट में हमेशा से शामिल रही है, लेकिन इसकी डिमांड घटती जा रही थी। वहीं, इस कार को नए फीचर्स और टेक्नोलॉजी के हिसाब से अपडेट करने से इस कार की कीमत बढ़ जाती।
कंपनी क्या कहती है:
मारुति सुजुकी इंडिया के मार्केटिंग और सेल्स के वरिष्ठ कार्यकारी अधिकारी शशांक श्रीवास्तव ने इंडिया टुडे को बताया, “कंपनी ने ऑल्टो 800 का उत्पादन बंद कर दिया है.” श्रीवास्तव ने कहा, “हमने देखा है कि एंट्री-लेवल हैचबैक सेगमेंट, जहां यह (ऑल्टो 800) स्थिर हो गया है, पिछले कुछ वर्षों में कारों की लागत बहुत बढ़ जाने के कारण नीचे आ रही है।” शशांक श्रीवास्तव ने यह भी कहा कि, “बढ़ती विनिर्माण लागत, रोड टैक्स, पंजीकरण कर और अन्य करों के कारण, इस सेगमेंट में वाहन की कीमत तेजी से बढ़ी है। हालांकि प्रवेश स्तर के वाहनों की कीमतें बढ़ी हैं, इस सेगमेंट में वाहन खरीदारों की आय में आनुपातिक वृद्धि नहीं देखी गई है, और यह भी मांग में गिरावट का एक प्रमुख कारण है।”
नए RDE मानदंड क्या हैं:
वर्ष 2020 में BS6 उत्सर्जन मानक के सफल कार्यान्वयन के बाद, सरकार ने 1 अप्रैल, 2023 से नए वास्तविक ड्राइविंग उत्सर्जन (RDE) मानदंड लागू किए हैं। RDE मानदंड मूल रूप से भारत में पहले से लागू BS6 मानदंडों का दूसरा चरण है। आरडीई को सबसे पहले यूरोप में लागू किया गया था। इस नए नियम के तहत वाहन निर्माताओं को वास्तविक परिस्थितियों में उत्सर्जन मानकों को पूरा करना जरूरी होगा। आरडीई के रोलआउट के बाद भारतीय ऑटो सेक्टर पर गहरा प्रभाव पड़ेगा।
आरडीई की आवश्यकता है कि वाहनों को वास्तविक समय ड्राइविंग उत्सर्जन स्तरों की निगरानी के लिए ऑनबोर्ड स्व-निदान उपकरणों के साथ प्रदान किया जाए। उत्सर्जन पर कड़ी नजर रखने और उत्सर्जन मानदंडों को पूरा करने के लिए डिवाइस कैटेलिटिक कन्वर्टर और ऑक्सीजन सेंसर जैसे प्रमुख हिस्सों की लगातार निगरानी करेगा। दरअसल, RDE वास्तविक जीवन में वाहनों द्वारा उत्पादित NOx जैसे प्रदूषकों को मापता है, जिसके परिणामस्वरूप बेहतर अनुपालन होता है।
यहां तक कि वाहनों में उपयोग किए जाने वाले अर्धचालकों की भी थ्रॉटल, क्रैंकशाफ्ट स्थिति, वायु सेवन दबाव, इंजन तापमान और उत्सर्जन (पार्टिकुलेट मैटर, नाइट्रोजन ऑक्साइड, CO2, सल्फर) आदि के लिए निगरानी की जाती है। इसके अलावा प्रोग्राम्ड फ्यूल इंजेक्टर को भी वाहनों में शामिल करना होगा।
इसे भारत में BS-VI एमिशन नॉर्म्स के दूसरे चरण के तौर पर देखा जा रहा है, जिसका पहला चरण 2020 में शुरू हुआ था. इस नियम के तहत कंपनियों को वाहनों को पूरी तरह से तैयार करने के लिए कारों के इंजन को अपग्रेड करना होगा. यह बदलाव इतना आसान भी नहीं है और इसका सीधा असर वाहनों के निर्माण पर होने वाले खर्च पर पड़ेगा। जहां वाहन निर्माता कुछ मॉडलों को अपग्रेड कर रहे हैं, वहीं कुछ मॉडल ऐसे भी हैं जो बाजार में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं और उन्हें बंद किया जा रहा है।