भारत का थार रेगिस्तान, जो कभी अपनी तपती रेत और सूखे के लिए जाना जाता था, अब एक अकल्पनीय बदलाव से गुज़र रहा है। जहाँ पहले हर दिशा में सिर्फ रेत ही दिखाई देती थी, अब वहां हरियाली पाँव पसार रही है। वैज्ञानिक भी इस बदलाव को देखकर हैरान हैं।
20 सालों में बदल गया रेगिस्तान का चेहरा
2001 से लेकर 2023 तक के सैटेलाइट डाटा के विश्लेषण से पता चलता है कि पिछले दो दशकों में थार के कई हिस्सों में 38% तक हरियाली बढ़ी है। जहां कभी भूरे और बंजर धब्बे दिखाई देते थे, अब वहां हरे-भरे पेड़ और खेती नजर आने लगी है।
बदलाव के पीछे हैं ये बड़े कारण
थार में हरियाली के बढ़ने के पीछे कई महत्वपूर्ण वजहें हैं:
- जलवायु परिवर्तन (Climate Change)
- मानसून में बढ़ोतरी और वर्षा पैटर्न में बदलाव
- मानव जनित गतिविधियां जैसे शहरीकरण और कृषि विस्तार
दुनिया का सबसे घना बसा रेगिस्तान
थार रेगिस्तान, जो 2 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है, भारत और पाकिस्तान के सीमावर्ती इलाकों में स्थित है। यह दुनिया का सबसे घना बसा हुआ रेगिस्तान है, जहाँ 1.6 करोड़ से अधिक लोग रहते हैं। और अब यह रेगिस्तान एक नया रूप ले रहा है — हरा-भरा और उपजाऊ।




शोधकर्ताओं की राय
IIT गांधीनगर के वैज्ञानिक डॉ. विमल मिश्रा के अनुसार, “पानी और ऊर्जा की बेहतर उपलब्धता के कारण इस क्षेत्र में कृषि और शहरीकरण में तेज़ी आई है। इससे न केवल फसल उत्पादन बढ़ा है, बल्कि पूरे परिदृश्य में बदलाव आया है।”
उनका कहना है कि “दुनिया के किसी अन्य रेगिस्तान में इतना तेज़ विकास, बारिश और हरियाली नहीं देखी गई है।”
👀💭 The #Sahara, contrary to its contemporary arid visage, bore witness to a verdant past as illustrated by prehistoric cave paintings discovered in Libya and the #Algerian #Tassili n’Ajjer dating back to 10,000 BC, marking the conclusion of the last ice age.
— Third Eye Seeks 🪬 (@Third_Eye_Seeks) November 6, 2023
These #ancient… pic.twitter.com/Mj8gnr5CRj
64% बढ़ी मानसून की बारिश
थार में मानसून वर्षा में 64% की वृद्धि दर्ज की गई है। इससे न केवल मिट्टी की नमी बढ़ी है, बल्कि भूजल स्तर में भी इज़ाफा हुआ है। इससे पेड़-पौधों की वृद्धि के लिए अनुकूल माहौल तैयार हुआ है।
लेकिन सिर्फ प्राकृतिक कारण ही नहीं, सिंचाई व्यवस्था, जनसंख्या में वृद्धि और कृषि विस्तार ने भी इस परिवर्तन में अहम भूमिका निभाई है।
क्या यह बदलाव वाकई वरदान है?
हालांकि ये हरियाली एक वरदान जैसी लग सकती है, लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि हमें बहुत सतर्क रहने की ज़रूरत है। कुछ महत्वपूर्ण खतरे भी इस बदलाव के साथ सामने आ रहे हैं:
- स्थानीय जैव विविधता को खतरा
- भूजल का अत्यधिक दोहन, जिससे भविष्य में जल संकट गहरा सकता है
- तेज़ी से बढ़ता तापमान और जनसंख्या, जो इस संतुलन को बिगाड़ सकते हैं
इसलिए ज़रूरत है संतुलित विकास की — ऐसा विकास जो हरियाली भी लाए लेकिन रेगिस्तान की प्राकृतिक विशेषताओं और जैवविविधता को भी सुरक्षित रखे।