“तो क्या ये सुप्रीम कोर्ट को धमकी है?” मौलाना का वीडियो आया सामने, कहा- फैसला हमारे हक़ में नहीं तो ठप कर देंगे पुरे भारत को… सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन अधिनियम (Waqf Amendment Act) पर आज से सुनवाई शुरू होने जा रही है। इस बीच, पश्चिम बंगाल विधानसभा में बीजेपी के नेता और विपक्ष के प्रमुख शुभेंदु अधिकारी ने एक वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किया है, जिसमें एक मौलाना कथित तौर पर धमकी देते नजर आ रहे हैं।
मौलाना का बयान: “फैसला खिलाफ आया तो जाम होगा हर रास्ता”
वीडियो में खुद को उत्तर दिनाजपुर जिले के ऑल इंडिया इमाम संघ का जिला अध्यक्ष बताने वाला व्यक्ति वक्फ अधिनियम पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर तीखे तेवर दिखाते नजर आ रहा है।
उसने कहा:
“हम फैसले की तारीख का इंतज़ार कर रहे हैं। अगर फैसला हमारे पक्ष में आता है, यानी अदालत कहती है कि यह वक्फ संशोधन अधिनियम अमान्य है और इसे कानून नहीं माना जा सकता, तो हम शांति से रहेंगे, कोई विरोध नहीं करेंगे। लेकिन अगर फैसला हमारे खिलाफ आता है, अगर वक्फ बोर्ड के कानून में कोई बदलाव किया गया, तो हम सड़कों से लेकर गलियों तक सब कुछ जाम कर देंगे।”
“रेलवे को रोकेंगे, गांवों में करेंगे प्रदर्शन”
वीडियो में मौलाना आगे कहते हैं:
“हर जगह रेलवे को रोका जाएगा। सबसे पहले ट्रेनों को बंद करेंगे। यह काम हम शहरों में नहीं, गांवों में करेंगे। हम गाड़ियाँ, बाइक, ट्रेनें और सड़कें—सब कुछ ब्लॉक कर देंगे। न सिर्फ पश्चिम बंगाल, बल्कि पूरे भारत को ठप कर देंगे।”
शुभेंदु अधिकारी ने उठाए सवाल – “क्या ये सुप्रीम कोर्ट को धमकी है?”
इस वीडियो को साझा करते हुए शुभेंदु अधिकारी ने इंस्टाग्राम पर लिखा:
“क्या यह भारत के सर्वोच्च न्यायालय को खुली धमकी है? अगर फैसला इनके पक्ष में नहीं आता तो सड़कें और रेलवे लाइनें ब्लॉक कर दी जाएंगी? क्या ये लोग केवल बंगाल ही नहीं, पूरे भारत को ठप करने की धमकी दे रहे हैं?”
"We have a hearing on the 15th. We are waiting until that date. If the law goes in our favour, i.e. if the Court (Supreme Court) Orders that it (Waqf Amendment Act) is invalid and cannot be considered a law, then it will be in our favor, and we will not take any actions. We will… pic.twitter.com/OjPIYSldGU
— Suvendu Adhikari (@SuvenduWB) April 15, 2025
मामला बेहद संवेदनशील, कोर्ट के फैसले पर टिकी निगाहें
यह मामला देश के लिए संवेदनशील माना जा रहा है क्योंकि यह न सिर्फ धार्मिक भावनाओं, बल्कि कानूनी व्यवस्था और लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों से भी जुड़ा है। सुप्रीम कोर्ट क्या निर्णय देगा, इस पर पूरे देश की नजर बनी हुई है।