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19 Apr 2025, Sat

बच्चों का Aadhaar बनवाने के बाद ये स्टेप रह गया अधूरा, तो बंद हो जाएगा आधार नंबर

आज आधार कार्ड हर भारतीय नागरिक के लिए एक खास पहचान बन गया है। यह न केवल सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने में मदद करता है, बल्कि आपकी पहचान का भी काम करता है। यही वजह है कि बच्चों के लिए भी आधार बनवाना बहुत जरूरी हो गया है। इसके साथ ही बाल आधार से जुड़ा यह काम भी करवाना बहुत जरूरी है, नहीं तो आपका आधार निष्क्रिय हो सकता है।

बच्चों के लिए आधार कार्ड बनवाना क्यों जरूरी है?

केंद्र और राज्य सरकारें बच्चों के लिए कई योजनाएं चलाती हैं (जैसे मिड-डे मील, स्वास्थ्य सेवाएं आदि)। इनमें हिस्सा लेने के लिए आधार जरूरी है। स्कूलों में एडमिशन फॉर्म भरते समय बच्चे का आधार नंबर मांगा जाता है।

बाल आधार से जुड़ी अहम बात

यहां हम बाल आधार से जुड़ी एक अहम जानकारी के बारे में बता रहे हैं, अगर आपको इसकी जानकारी नहीं है तो आपके बच्चे के लिए बना आधार भी निष्क्रिय हो सकता है। ध्यान रहे कि बच्चे के 5 साल का होने के बाद उसका बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन जरूरी है। ऐसा न करने पर बच्चे का बाल आधार कार्ड निष्क्रिय हो जाता है।

बाल आधार कार्ड क्या है?

यह 5 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए जारी किया जाता है। इसमें बायोमेट्रिक डेटा नहीं लिया जाता है, यह केवल बच्चे की फोटो और माता-पिता के दस्तावेजों के आधार पर बनाया जाता है। इसका रंग नीला होता है।

बच्चों का आधार कार्ड बनवाने के लिए इन ज़रूरी दस्तावेज़ों की ज़रूरत होती है

  • बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र
  • माता-पिता में से किसी एक का आधार कार्ड (जिसके आधार पर बच्चे का आधार बनेगा)
  • पते का प्रमाण (जैसे बिजली बिल, राशन कार्ड, बैंक स्टेटमेंट आदि)

बच्चों का आधार कार्ड बनवाने की ऑनलाइन प्रक्रिया

  • चरण 1: UIDAI की वेबसाइट (https://uidai.gov.in) पर जाएँ।
  • चरण 2: “बुक आधार अपॉइंटमेंट” सेक्शन से नज़दीकी आधार केंद्र चुनें।
  • चरण 3: बच्चे और माता-पिता के दस्तावेज़ों के साथ केंद्र पर जाएँ।
  • चरण 4: बच्चे की फोटो ली जाएगी (5 साल से कम उम्र में बायोमेट्रिक नहीं लिया जाता है)।
  • चरण 5: कुछ ही दिनों में आपको अपने बच्चे का आधार कार्ड डाक से या ऑनलाइन डाउनलोड करके मिल जाएगा।

5 और 15 साल की उम्र में आधार को फिर से अपडेट करना होगा

  • 5 साल की उम्र के बाद: बच्चे के फिंगरप्रिंट और आंखों के स्कैन लिए जाते हैं।
  • 15 साल की उम्र में: सटीक पहचान सुनिश्चित करने के लिए बायोमेट्रिक्स को फिर से अपडेट किया जाता है।

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