नई वक्फ कानून (Waqf Amendment Act) के तहत, अब वक्फ बोर्ड का 250 से ज्यादा राष्ट्रीय धरोहरों पर दावा खत्म हो जाएगा। इस नए कानून में वक्फ बोर्ड को अपनी संपत्तियों के दस्तावेज़ 6 महीने के भीतर एक पोर्टल पर अपलोड करने का आदेश दिया गया है। जिन संपत्तियों के पास कोई कागजात नहीं होंगे, उन पर वक्फ का दावा अपने आप समाप्त हो जाएगा। ऐसी स्थिति में, ये संपत्तियां भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के अधीन आ जाएंगी। इन संपत्तियों में दिल्ली का उग्रसेन की बावली, पुराना किला, हुमायूं का मकबरा, महाराष्ट्र में औरंगजेब का मकबरा, और प्रतापगढ़ किला, गोण्डिया जैसे ऐतिहासिक स्थल शामिल हैं।
वक्फ से ऐतिहासिक संपत्तियां छीन ली जाएंगी
8 अप्रैल को मोदी सरकार द्वारा वक्फ संशोधन विधेयक 2025 को कानून में बदला गया। इसके बाद देशभर में वक्फ संपत्तियों के संबंध में कई महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिल सकते हैं। इस नए कानून के अनुसार, उन संपत्तियों पर वक्फ का दावा खतरे में है, जो राष्ट्रीय धरोहर के रूप में मानी जाती हैं। जिन संपत्तियों पर वक्फ ने “वक्फ बाय यूजर” के तहत अपना दावा किया है। यह कानून कहता है कि वक्फ बोर्ड को अपनी सभी संपत्तियों के दस्तावेज़ 6 महीने के अंदर ऑनलाइन पोर्टल पर अपलोड करने होंगे, इसके लिए 6 महीने का और विस्तार दिया जा सकता है।
सामान्य तौर पर, यह प्रक्रिया एक साल में पूरी होगी, जिसके बाद बिना दस्तावेज़ वाली 250 से ज्यादा राष्ट्रीय धरोहरों पर वक्फ का दावा खत्म हो जाएगा। और ये संपत्तियां ASI के कब्जे में आ जाएंगी। प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम 1904 और संशोधन अधिनियम 1958 के तहत, यदि कोई स्मारक राष्ट्रीय धरोहर के रूप में घोषित किया जाता है और उसके बाद वक्फ बोर्ड उस पर अपना दावा करता है, तो उसे भी ASI के अधीन माना जाएगा।
वक्फ-ASI विवाद
वक्फ बोर्ड और ASI के बीच लंबे समय से इन संपत्तियों को लेकर विवाद चल रहा है। वक्फ बोर्ड उन संपत्तियों पर दावा करता है, जहां कभी नमाज अदा की गई हो या जो स्थान मुस्लिमों द्वारा उपयोग किया गया हो। इस सूची में ताज महल भी शामिल है। 2005 में सुन्नी वक्फ बोर्ड ने ताज महल को वक्फ संपत्ति घोषित किया था, लेकिन 2010 में सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ बोर्ड के आदेश पर रोक लगा दी और कहा कि कौन मानेगा कि ताज महल वक्फ संपत्ति है? वक्फ बोर्ड कोर्ट में ताज महल के संबंध में कोई ऐसा दस्तावेज़ प्रस्तुत नहीं कर सका, जो यह साबित करता कि वह वक्फ संपत्ति है।
JPC के सामने ASI का बयान
इसके अलावा कई ऐसी संपत्तियां हैं, जहां अब नमाज नहीं अदा की जाती, लेकिन वक्फ बोर्ड उन्हें अपनी संपत्ति मानता है। उदाहरण के लिए, दिल्ली के उग्रसेन की बावली से जुड़ी मस्जिद में अब नमाज नहीं होती, लेकिन इसका नाम वक्फ संपत्तियों की सूची में शामिल है। जब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने वक्फ बिल के लिए गठित JPC के सामने अपना पक्ष रखा, तो उसने बताया कि एक आंतरिक सर्वेक्षण में पाया गया कि उसके 250 संरक्षित स्मारक फिलहाल वक्फ संपत्ति के रूप में पंजीकृत हैं।
पहली बैठक में ASI ने यह संख्या 120 बताई थी, लेकिन बाद में आंतरिक सर्वेक्षण में यह संख्या 250 से ज्यादा हो गई। इन संपत्तियों में से कई ASI और वक्फ दोनों के स्वामित्व में हैं, जबकि कई संपत्तियों को वक्फ बोर्ड ने एकतरफा निर्णय लेकर अपनी संपत्ति घोषित कर दिया था। नए कानून के बाद ASI को उम्मीद है कि वह इन संपत्तियों पर अधिकार प्राप्त करेगा। हालांकि, वक्फ कानून का मामला अभी भी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, जिस पर बुधवार को सुनवाई हुई थी।