अगस्त 2021 के बाद पहली बार भारत का औसत कच्चा तेल आयात मूल्य 70 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आ गया है। इसके साथ ही ब्रेंट क्रूड (अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क) भी सोमवार को 65 डॉलर से नीचे आ गया। इससे पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कमी की उम्मीद बढ़ गई है, जिससे ग्राहकों को राहत मिल सकती है और भारत की अर्थव्यवस्था को भी फायदा होगा] क्योंकि देश अपनी तेल जरूरतों का 87 फीसदी आयात करता है।
हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, शुक्रवार को भारत का औसत कच्चा तेल आयात मूल्य 69.39 डॉलर प्रति बैरल था, जो पिछले साल अप्रैल ($89.44) की तुलना में 22 फीसदी कम है। विशेषज्ञों का कहना है कि वैश्विक व्यापार युद्ध और मंदी की संभावना के कारण कच्चे तेल की मांग में और कमी आ सकती है, जिससे कीमतों में और कमी आएगी। गोल्डमैन सैक्स ने अनुमान लगाया है कि 2025 तक ब्रेंट क्रूड का औसत मूल्य 63 डॉलर प्रति बैरल हो सकता है। ओपेक ने भी तेल की मांग बढ़ने का अपना अनुमान घटा दिया है।
कच्चे तेल की गिरती कीमतों का सरकार ने उठाया फायदा
कच्चे तेल की गिरती कीमतों का सरकार ने भी फायदा उठाया। अप्रैल में पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी ₹2 प्रति लीटर बढ़ाई गई थी, ताकि LPG सिलेंडर पर सब्सिडी दी जा सके. इससे सरकार को करीब ₹32,000 करोड़ का अतिरिक्त फायदा हुआ था. पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी ने कहा था कि जब तेल कंपनियों का स्टॉक 60-65 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर आ जाएगा, तो पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कमी की गुंजाइश होगी.
पेट्रोल और डीजल की कीमत में कब तक राहत मिलेगी?
मार्च 2024 में पेट्रोल और डीजल की कीमत में ₹2 प्रति लीटर की कमी की गई थी, उस समय कच्चे तेल की कीमत 84.49 डॉलर प्रति बैरल थी. अब यह घटकर 69.39 डॉलर हो गई है, यानी 17.87% की गिरावट आई है.
कंपनियां ₹10-12 प्रति लीटर का मुनाफा कमा रही हैं
विशेषज्ञों के अनुसार, तेल कंपनियां (ओएमसी) इस समय पेट्रोल और डीजल पर ₹10-12 प्रति लीटर का मुनाफा कमा रही हैं, लेकिन अंतरराष्ट्रीय कीमतों के हिसाब से खुदरा कीमत में कमी नहीं की गई है।
बेस प्राइस घटा, लेकिन ग्राहकों को नहीं मिला फायदा
8 अप्रैल को आईओसी ने पेट्रोल का बेस प्राइस ₹54.84 से घटाकर ₹52.84 कर दिया था, लेकिन सरकार ने एक्साइज ड्यूटी बढ़ाकर ₹2 का फायदा उठा लिया। इसलिए दिल्ली में पेट्रोल ₹94.77 और डीजल ₹87.67 प्रति लीटर पर बना रहा।