बैंक और वित्तीय संस्थाएं ग्राहकों को विभिन्न प्रकार के ऋण (Loan) प्रदान करती हैं। हर प्रकार के लोन की ईएमआई (EMI) ग्राहक को हर महीने चुकानी होती है। यही नियम कार लोन (Car Loan) पर भी लागू होता है। जब ग्राहक EMI भरने में चूक करता है, तो बैंक और वित्त कंपनियां कई कदम उठाती हैं, जिससे ग्राहक की मुश्किलें बढ़ जाती हैं। अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी एक बड़ा फैसला सुनाया है, जिसमें यह स्पष्ट किया गया है कि कार लोन की ईएमआई नहीं भरना कितना महंगा पड़ सकता है।
जानिए क्या था पूरा मामला
कुछ साल पहले अंबेडकर नगर निवासी एक युवक राजेश ने कार फाइनेंस पर खरीदी। इस कार के लिए उसने ₹1 लाख का भुगतान किया और बाकी रकम के लिए लोन लिया। राजेश ने सात महीनों तक नियमित रूप से EMI चुकाई। लेकिन इसके बाद उसने कोई किश्त नहीं दी। फाइनेंस कंपनी ने उसे पाँच महीने तक इंतजार करने के बाद भी जब कोई भुगतान नहीं मिला, तो कंपनी ने कार को जब्त कर लिया।
निचली अदालत ने फाइनेंसर पर लगाया था जुर्माना
राजेश ने इस मामले को उपभोक्ता अदालत (Consumer Court) में ले गया और शिकायत दर्ज कराई। अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि फाइनेंसर ने ग्राहक की कार बिना नोटिस दिए जब्त की है, जो गलत है। इस पर कंपनी पर ₹2 लाख से ज्यादा का जुर्माना लगाया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने फाइनेंसर को दी राहत
फाइनेंस कंपनी ने उपभोक्ता आयोग के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। जांच में सामने आया कि राजेश ने खुद यह स्वीकार किया कि उसने सिर्फ 7 किश्तें दी थीं, उसके बाद कोई भुगतान नहीं किया। सुप्रीम कोर्ट ने माना कि कंपनी ने 12 महीने तक इंतजार किया, यानी ग्राहक को पर्याप्त समय दिया गया था। इस पर जुर्माने को रद्द कर दिया गया। हालांकि, नोटिस न देने के कारण कंपनी पर ₹15,000 का जुर्माना लगाया गया।
सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने दो हाईकोर्ट के फैसलों को देखते हुए कहा कि किसी लोन खाते को फ्रॉड घोषित करना, कर्जदार को ब्लैकलिस्ट करने जैसा है। इसका व्यक्ति की क्रेडिट रिपोर्ट और CIBIL स्कोर पर भी नकारात्मक असर पड़ता है। इसलिए किसी भी ग्राहक को धोखाधड़ी का टैग देने से पहले उसे अपनी बात रखने का अवसर मिलना चाहिए।
कोर्ट ने यह भी कहा कि FIR दर्ज किए बिना सीधे किसी लोन अकाउंट को फ्रॉड घोषित करना उचित नहीं है। चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि बैंक बिना नोटिस दिए इस तरह का कदम नहीं उठा सकते।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (F&Q)
EMI नहीं देने पर कितने दिन में कार्रवाई हो सकती है?
यदि आप लगातार EMI नहीं भरते हैं, तो फाइनेंस कंपनी आमतौर पर 3-6 महीनों तक इंतजार करती है और फिर कानूनी प्रक्रिया शुरू कर सकती है।
क्या कंपनी बिना नोटिस दिए वाहन जब्त कर सकती है?
नहीं, सुप्रीम कोर्ट के अनुसार ग्राहक को नोटिस देना जरूरी है, बिना नोटिस दिए वाहन जब्त करना गलत है।
क्या ग्राहक पर जुर्माना लग सकता है?
यदि ग्राहक EMI नहीं देता, तो उस पर पेनल्टी, ब्याज और कानूनी खर्च लगाए जा सकते हैं। लेकिन ग्राहक को अपना पक्ष रखने का मौका देना अनिवार्य है।
लोन डिफॉल्ट करने पर CIBIL स्कोर पर क्या असर पड़ता है?
लोन डिफॉल्ट करने से CIBIL स्कोर बहुत तेजी से गिरता है, जिससे भविष्य में लोन मिलना मुश्किल हो सकता है।