देश के सबसे बड़े निजी क्षेत्र के बैंक HDFC ने होली से पहले अपने ग्राहकों को तोहफा दिया है। एचडीएफसी बैंक ने सभी अवधियों पर एमसीएलआर में 0.10 फीसदी की कटौती की है। एमसीएलआर घटने से होम, कार और पर्सनल लोन की ईएमआई कम हो जाती है। भारतीय रिजर्व बैंक ने साल की शुरुआत में रेपो रेट घटाया था और अब अप्रैल में होने वाली आरबीआई की बैठक में फिर से रेपो रेट घटने की उम्मीद है। आरबीआई की बैठक से पहले ही एचडीएफसी बैंक ने एमसीएलआर घटा दिया है।
HDFC बैंक ने MCLR घटाया
होम, कार और पर्सनल लोन पर ब्याज एमसीएलआर के आधार पर तय होता है। एचडीएफसी ने सभी अवधियों पर एमसीएलआर में 0.10 फीसदी की कटौती की है। एचडीएफसी बैंक की नई एमसीएलआर दर आज यानी 7 अप्रैल 2025 से लागू हो गई है।
HDFC बैंक की नई MCLR दरें – 7 अप्रैल 2025 से लागू
एचडीएफसी बैंक की ओवरनाइट एमसीएलआर 9.10 फीसदी है। एक महीने की MCLR घटकर 9.10 प्रतिशत हो गई है। तीन महीने की दर घटकर 9.20 प्रतिशत हो गई है। छह महीने, एक साल और 2 साल की दर घटकर 9.30 प्रतिशत हो गई है। पहले यह 9.40 प्रतिशत थी। तीस साल की MCLR 9.35 प्रतिशत है।
MCLR में वृद्धि या कमी का प्रभाव
जब बैंक अपने MCLR (मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट) में बदलाव करता है, तो इसका असर होम लोन, पर्सनल लोन और कार लोन जैसे सभी फ्लोटिंग रेट लोन की EMI पर पड़ता है। अगर MCLR बढ़ता है, तो लोन की ब्याज दरें बढ़ जाती हैं और आपकी EMI महंगी हो जाती है। वहीं, अगर MCLR घटता है, तो ब्याज दरें घट जाती हैं, जिससे आपकी EMI कम हो जाती है। इसका फायदा नए लोन लेने वालों को भी मिलता है, क्योंकि उन्हें पहले से सस्ता लोन मिल सकता है।
MCLR कैसे तय होता है?
बैंक MCLR तय करने के लिए कई कारकों पर विचार करते हैं, जैसे डिपॉजिट रेट, रेपो रेट, ऑपरेशनल कॉस्ट और कैश रिजर्व रेशियो (CRR)। जब RBI रेपो रेट में बदलाव करता है तो इसका सीधा असर MCLR पर पड़ता है। अगर रेपो रेट घटता है तो बैंक MCLR भी घटा सकते हैं जिससे लोन सस्ता हो सकता है। वहीं अगर रेपो रेट बढ़ता है तो MCLR भी बढ़ जाता है और लोन की EMI महंगी हो जाती है।